भारत में लागू हुआ CAA... क्या बोले अमेरिका में बसे भारतीय हिंदू और मुस्लिम?


भारत में सीएए लागू हो गया है. कुछ इसका विरोध कर रहे हैं तो कुछ इसे सही फैसला बता रहे हैं. अमेरिका में बसे हिंदुओं ने इस फैसले का स्वागत किया है. हालांकि, वहां के मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया है.

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन जैसे हिंदू अमेरिकियों संगठनों ने सीएए लागू करने के फैसले का स्वागत किया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में काम कर रहे हिंदू संगठनों का कहना है कि ये कानून लंबे समय से लटका था और ये जरूरी था.

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुहाग शुक्ला ने कहा कि ये कानून भारत में रह रहे सबसे कमजोर शरणार्थियों की रक्षा करता है. इससे उन्हें वो मानवाधिकार मिलेंगे, जिससे उन्हें अपने देश में वंचित रखा गया और उन्हें अपने जीवन की नई शुरुआत करने का मौका मिलेगा.

शुक्ला ने कहा कि सीएए अमेरिका में 1990 के दशक से लागू लॉटेनबर्ग संशोधन की तरह ही है. लॉटेनबर्ग संशोधन भी कुछ चुनिंदा देशों में धार्मिक उत्पीड़न सहकर आए लोगों के लिए नागरिकता हासिल करना आसान बनाता है.

वहीं, कोएलिशन ऑफ हिंदुस ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA) की पुष्पिता प्रसाद ने कहा कि सीएए से अभी सिर्फ आए लोगों के लिए नागरिकता हासिल करना आसान बनाता है.

वहीं, कोएलिशन ऑफ हिंदुस ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA) की पुष्पिता प्रसाद ने कहा कि सीएए से अभी सिर्फ "31 हजार लोगों को नागरिकता मिलेगी, जो धार्मिक उत्पीड़न से भागकर भारत आए हैं.

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अकेले पाकिस्तान में हर साल अल्पसंख्यक समुदाय की एक हजार से ज्यादा लड़कियों को अगवा किया जाता है, उनका जबरन धर्मांतरण किया जाता और जबरन शादी करवा दी जाती है. इस कारण वहां से लोग डरकर भारत आ रहे हैं.

हालांकि, इंडियन अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल ने सीएए की आलोचना करते हुए इसे भेदभावपूर्ण करार दिया है.आईएएमसी का कहना है कि ये भारतीय मुस्लिमों को हाशिये पर धकेल देगा.

आईएएमसी के अध्यक्ष मोहम्मद जवाद ने कहा कि ये कानून भेदभावपूर्ण है और इसे भारतीय मुस्लमानों के साथ भेदभाव करने और उनको वोटिंग राइट्स से वंचित करने के मकसद से लाया गया है. 

सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आकर बस गए थे. सीएए के खिलाफ 2020 की शुरुआत दिल्ली में दंगे भी हुए थे. इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी.